इंतिहा ये है कि 'फ़ानी' दर्द अब दिल हो गया दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो…” जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे। Urdu language is stuffed with numerous thoughts and insights. Much like this couplet of https://youtu.be/Lug0ffByUck